3 फेस इंडक्शन मोटर
परिचय :
इंडक्शन मोटर का आविष्कार महान वैज्ञानिक 'निकोला टेस्ला' ने किया है। यह सबसे अधिक लोकप्रिय मोटर के प्रकारों में से एक है। मोटर, दुनिया में बिजली की कुल खपत का लगभग 50% उपभोग करता है ।
इंडक्शन मशीनों को असीनक्रोनीअस मशीन भी कहा जाता है यानी ऐसी मशीनें जो कभी भी सीनक्रोनीअस स्पीड से नहीं चलते हैं। जब भी हम इंडक्शन मशीन कहते हैं तो हमारा मतलब इंडक्शन मोटर होता है। इंडक्शन मोटर्स थ्री फेज या सिंगल फेज हो सकता हैं। सिंगल फेज मोटर्स आमतौर पर छोटे आकार (3 एचपी तक) के निर्मित होती हैं। थ्री फेज इंडक्शन मोटर्स उद्योग में सबसे अधिक इस्तेमाल होता है क्योंकि इसका निर्माण सरल और आसान है , कम लागत, उच्च दक्षता, सेल्फ स्तार्ट कि क्षमता इन सभी कारणों से इसका उपयोग बड़े पैमाने पर होता है। उद्योग में प्रयुक्त यांत्रिक शक्ति का लगभग 90% से अधिक थ्री फेज इंडक्शन (3 phase induction motor) मोटर् के द्वारा प्रदान किया जाता है। इसलिए इसे उद्योग का घोड़ा (महत्वपूर्ण अंग) भी कहा जाता है।
सिद्धांत:
थ्री फेस मोटर आम तौर पर विद्युत चुम्बकीय प्रेरण के सिद्धांत पर काम करता है।
निर्माण:
थ्री फेस इंडक्शन मोटर में दो मुख्य भाग होते हैं, अर्थात् स्टेटर और रोटर।
(1) स्टेटर: यह मोटर का स्थिर भाग है। इसके तीन मुख्य भाग हैं, अर्थात्।
(i) बाहरी फ्रेम ( frame)
(ii) स्टेटर कोर (stator core)
(iii) स्टेटर वाइंडिंग (stator winding)
(i) बाहरी फ्रेम : यह मोटर का बाहरी कवच है। इसका कार्य स्टेटर कोर को अधार देना और मशीन के अंदरूनी हिस्सों की सुरक्षा करना है। छोटी मशीनों के लिए फ्रेम डाला जाता है, लेकिन बड़ी मशीनों के लिए इसे गढ़ा जाता है। मोटर को नींव पर रखने के लिए, बाहरी फ्रेम में पैरों जैसी रचना प्रदान किया जाता है जैसा कि चित्र (a) में दिखाया गया है।
(ii) स्टेटर कोर : जब एसी सप्लाई इंडक्शन मोटर को दिया जाता है, तो स्टेटर कोर में एक वैकल्पिक प्रवाह उत्पन्न होता है। यह प्रत्यावर्ती क्षेत्र हिस्टैरिसीस और एड़ी करेट से होनेवाले नुकसान को उत्पन्न करता है। इन नुकसानों को कम करने के लिए, कोर को उच्च ग्रेड सिलिकॉन स्टील के स्टैम्पिंग से बनाया जाता है। स्टैम्पिंग को हाइड्रोलिक प्रेशर के तहत इकट्ठा किया जाता है और इसे फ्रेम में रखा जाता है। प्रत्येक स्टैम्पिंग एक पतली वार्निश परत के साथ एक दूसरे से अलग रहता है। स्टैम्पिंग की मोटाई आमतौर पर 0.3 से 0.5 मिमी तक भिन्न होती है। स्टैम्पिंग की आंतरिक परिधि पर स्लॉट्स को छिद्रित (बनाया) किया जाता है, जैसा कि स्टेटर वाइंडिंग को चित्र (b) में दिखाया गया है।
(iii) स्टेटर वाइंडिंग : स्टेटर वाइंडिंग को स्टेटर कोर में लपेटा जाता है । आमतौर पर थ्री फेज की आपूर्ति थ्री फेज सप्लाई (3-phase supply) से की जाती है। वाइंडिंग के छह टर्मिनलों (प्रत्येक चरण के दो) मशीन के टर्मिनल बॉक्स में जुड़े हुए होते हैं। मोटर के स्टेटर में निश्चित ध्रुवों (poles) होते है जिसपर स्टेटोर वाइंडिंग लपेटी जाती है, जब सप्लाई दी जाती है तब यह चुंबक (megnet) की तरह व्यवहार करते है। ध्रुवों की संख्या, गति (speed) की आवश्यकता पर से निर्धारित की जाती है। ध्रुवों की संख्या जितनी अधिक होगी, उतना ही उसकी गति कम होगी और इसके विपरीत होगा।
(2) रोटर : मोटर के घूमने वाले भाग को रोटर (rotor) कहा जाता है। 3-फेस इंडक्शन मोटर्स के लिए दो प्रकार के रोटार का उपयोग किया जाता है।
(i) स्कव्येराल केज रोटर (Squirrel cage rotor)
(ii) फेस वाउंड रोटर ( phase wound rotor)
(i) स्कव्येराल केज रोटर : जिन मोटरों में ये रोटार कार्यरत होते हैं, उन्हें स्कव्येराल केज इंडक्शन मोटर कहा जाता है। ज्यादा तर इसी प्रकार के मोटर देखे जाते है स्कवेराल केज रोटर में बेलनाकार कोर होते हैं जो स्टेंपिंग के बने होते जिसकी बाहरी परिधि कॉपर या एल्यूमीनियम के चालक (conductor) स्लॉट्स (slots) में रखे जाते हैं और प्रत्येक अंत में तांबे या एल्यूमीनियम के रिंग द्वारा जुड़े (short circuit) होते हैं, जिन्हें शॉर्ट सर्किटिंग रिंग कहा जाता है, जैसा कि चित्र (d) में दिखाया गया है। इस प्रकार के रोटरों में, रोटर वाइंडिंग स्थायी रूप से शॉर्ट-सर्किट होती है और रोटर सर्किट में कोई बाहरी प्रतिरोध (resistor) नहीं जोड़ा जा सकता है। चित्रा (d) मे स्पष्ट रूप से देख सकते है कि ये स्लॉट तिरछे हैं, स्लोट को तिरछा रखने से निम्नलिखित लाभ प्राप्त होते है
(a) हमिंग कम हो जाती है, जिससे रोटर अच्छे से धूमता है
(b) रोटर के सभी सतह पर पर्याप्त टोक़ प्राप्त होता है।
(c) यह स्टेटर और रोटर के चुंबकीय लॉकिंग (magnetic locking) को कम करता है।
(d) रोटर बार कंडक्टर की लंबाई बढ़ने के कारण यह रोटर के प्रतिरोध को बढ़ाता है।
(ii) फेज़ वाउंड रोटर : इसे स्लिप रिंग रोटर (slipring rotor) के रूप में भी जाना जाता है और जिन मोटरों में इन रोटरों को उपयोग किया जाता है, उन्हें फेज़ वाउंड या स्लिप रिंग इंडक्शन मोटर के रूप में जाना जाता है। यह रोटर भी आकार में बेलनाकार होता है जिसमें बड़ी संख्या में स्टैम्पिंग होते हैं। इसके बाहरी परिधि पर कई अर्ध-बंद स्लॉट्स अंकित होते हैं। इन स्लॉट्स में 3-फेज़ इंसुलेटेड वाइंडिंग लगाई जाती है। रोटर एक शाफ़्ट के ऊपर लगाए जाता है। रोटर वाइंडिंग स्टार कनेक्शन में जुड़ा हुआ होता है और इसके शेष तीन टर्मिनल स्लिप रिंग से जुड़े होते हैं। जिस प्रकार स्तेटर कोर को शाफ्ट पर रखा गया है। इसी तरह, स्लिप-रिंग्स को भी शाफ्ट में रखा जाता है लेकिन ये शाफ्ट से इंसुलेटेड होते हैं। (देखें चित्र (c)) इस मामले में, आवश्यकता के आधार पर रोटर सर्किट में किसी भी बाहरी प्रतिरोध को जोड़ा जा सकता है। यहां पर भी रोटर तिरछा है। रोटर के केंद्र के माध्यम से एक स्टील शाफ्ट पारित किया जाता है और इसे बाहरी यंत्र (लोड) के साथ जोड़ा जाता है। शाफ्ट का उद्देश्य यांत्रिक शक्ति को स्थानांतरित करना है।
कार्य प्रणाली :
जब 3-फेज़ की आपूर्ति (supply) 3-फेज इंडक्शन मोटर के स्टेटर वाइंडिंग को दी जाती है, तब स्टेटर कोर में एक घुमावदार चुंबकी क्षेत्र (rotating megnetic field) उत्पन्न होता है। यह चुंबकी क्षेत्र धूमता रहता है जिसके कारण रोटर के चालक द्वारा यह चुंबकीय क्षेत्र कट जाता है जिसके परिणाम स्वरूप रोटर के चालक में विद्युत धारा प्रवाहित होती है जो खुदका एक अलग चुंबकीय क्षेत्र बनती है, लेकिन इस विद्युत कि दिशा सटेटर के विद्युत धारा की दिशा के विपरीत होता है । इस लिए जो चुंबकीय क्षेत्र बनता है वो विपरीत दिशा में बनता है जिससे रोटर पर टॉर्क लगता है और वो धूमता है । (दूसरे शब्दो में कहे तो सटेटर के धूमते हुए चुंबकीय क्षेत्र को पकड़ने की कोशिश करता पर कभी पकड़ नहीं पता है, जिसके परिणाम स्वरूप रोटर धूमता है । )
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